कैनाल मैन लौंगी भुंइया खाने को मोहताज, घर में नहीं है देख-रेख, अब करेंगे शादी

गया. कैनाल मैन लौंगी भुइयां को कौन नहीं जानता. वही लौंगी भुइयां जिन्होंने पिछले 40 साल से गया जिले के बांकेबाजार प्रखंड के लुटुआ पंचायत के जंगल में पहाड़ के पानी को रोकने के लिए नहर बनाई है ताकि खेतों में सिंचाई हो सके. 72 साल के लौंगी भुइयां ने कई तालाब और नहरें बनाई हैं, जिससे अब चार-पांच गांवों के लोग लाभान्वित हो रहे हैं.  उनके इस काम के लिए 2020 में आनंद महिंद्रा ने उन्हें एक ट्रैक्टर गिफ्ट किया था.

मछली पालन के लिए बना रहे डैम

अब लौंगी भुइयां अपने जीविकोपार्जन के लिए डैम बना रहे हैं ताकि उसमें मछली पालन कर सकें. वे खजराहा जंगल के पहाड़ों के बीच लगभग 100 फीट चौड़ा और 12 फीट ऊंचा 2 नए तालाबों की खुदाई में लगे हैं. लौंगी पिछले चार दशकों से न थके हैं, न रुके हैं. जिस काम के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है, उसे लौंगी ने अपनी मेहनत से पूरा कर दिया है. वह सुबह-सुबह कुदाल, चपड़ा, दउरी उठाकर नहर खोदने में लग जाते हैं. पहले नहर को खोदने में उन्हें 32 साल लगे और फिर दूसरे नहर और तालाब बनाने में 8 साल लगे.

72 की उम्र में शादी की तैयारी

लौंगी भुइयां के परिवार में चार बेटे और बहुएं हैं, जो मिट्टी के घर में रहते हैं. एक तरफ से दीवार गिरने लगी है, जिससे परिवार को परेशानी हो रही है. घर में एक चापाकल है, जो गर्मी में जवाब देने लगा है. उनके तीन बेटे बाहर मजदूरी करने को मजबूर हैं. लौंगी भुइयां की पत्नी का एक साल पहले निधन हो गया था, जिससे वह अकेलापन महसूस करने लगे हैं. घर के लोग उन्हें खाना-पानी भी नहीं देते. अब उन्होंने 72 साल की उम्र में शादी करने का निर्णय लिया है और परिवार की रजामंदी के बाद तैयारी में जुटे हैं.

नहीं है कोई देखभाल करने वाला

लौंगी ने कहा कि अगर घर में सुबह नाश्ता नहीं बनता तो सत्तू लेकर जंगल चले जाते हैं और काम में लग जाते हैं. जिस दिन सत्तू नहीं होता, उस दिन जंगल से बेल तोड़कर खाते हैं. थकने पर हाथ-पैर दबाने वाला कोई नहीं होता. खुद से शरीर पर तेल लगाते हैं. बच्चे बड़े हो गए हैं, उनसे काम कराना अच्छा नहीं लगता.  जैसा ख्याल रखने की जरूरत है, वैसा ख्याल नहीं रखा जाता. तालाबों की खुदाई से वक्त निकालकर अब शादी की तैयारी भी कर रहा हूं.

लौंगी की बहू और समधी बताते हैं कि लौंगी भुइयां ने जो काम किया है, उसकी मजदूरी सरकार ने अभी तक नहीं दी है. पूरा परिवार मिट्टी के घर में रह रहा है, लेकिन आवास योजना का लाभ नहीं मिला है.  दीवार गिर रही है और पानी की समस्या भी है. गर्मी में चापाकल भी जवाब देने लगा है. आनंद महिंद्रा ने जो ट्रैक्टर दिया था, वह ईंट भट्ठा पर चलता है और उनके छोटे बेटे उसकी देखरेख करते हैं. लौंगी भुइयां की सोच है कि वह गांव तक पानी पहुंचाना चाहते हैं और अब दूसरे गांवों तक भी पानी पहुंचाने का लक्ष्य है.

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